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Sunday, 24 May 2020

हम क्यों कतराते हैं अपनी बात कहने से?
क्यों हम झुकते हैं दिल का बयान करने से?
सब कुछ एक जैसा ही तो है हमारे जीवन में
संघर्ष सब करते हैं, रुकावटें भी आते हैं,
प्यार भी होता है, दिल भी टूटता है कोई ज़िंदगी में नया आता है, 
कभी हमेशा के लिए छोड़ जाता है 
मिट्टी के खिलौने जैसी लगती है मुझे ज़िंदगी,
कई बार टूट जाती है पर फिर नए रूप, अलग भेस में अपना किरदार निभाती है 
हर एहसास में एक नशा सा है 
किसी की मुस्कुराहट में, अपना रास्ता चुनने में,

कई बार गिरकर, उठने में। 

Ek kahani dafn thi kahin 
Zinda hai ab bahut kuch keh gai

Sunday, 17 May 2020

I saw myself in the mirror
I could see you in my eyes
A smile lifted up my face
But tears rolled down my eyes

Who do you see in the mirror?
Stand up close to find
When the night is dead 
But alert is the subconscious mind

If it’s you caress yourself 
If it’s she/he/they/them
Tell them 
It’s time   

Look at yourself in the mirror 
Don’t run away 
Heal
Give yourself some time