लहरें सी दौड़ रहीं हैं मन में
छूना चाहती हैं किनारा।
तुम पूछोगे, "कौन रोक रहा?"
जवाब नहीं है मेरे मन में।
समाज की बेड़ियाँ मैं जानूँ ना
पर कोई तो है जो रोक रहा
सवाल पूछने से ही मिलेंगे जवाब
पूछो अपने मन से।
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